Powerful mantra of Gayatri mantra in hindi गायत्री महामंत्र जाप से मिलती है दिव्य शक्तियाँ,और सम्पूर्ण सुख वैभव

Gayatri Mantra: गायत्री महामंत्र जाप से मिलती है दिव्य शक्तियाँ,और सम्पूर्ण सुख वैभव

दोस्तों हमारे शास्त्रों में तथा धार्मिक ग्रन्थों में मंत्रों का विशेष महत्व माना गया है. और गायत्री मंत्र को महा मंत्र माना जाता है। Powerful mantra of Gayatri mantra in hindi 

गायत्री मंत्र के अक्षरों का आपसी गुंथन, स्वर-विज्ञान और शब्दशास्त्र के ऐसे रहस्यमय आधार पर हुआ है, जो कि उसके उच्चारण मात्र से सूक्ष्म शरीर में छिपे हुए अनेक शक्ति केन्द्र अपने आप जागृत होते हैं। 

यह गायत्री मंत्र सबसे पवित्र एवं सर्व शक्तिशाली है, जो ऋग्वेद के तीसरे मण्डल के 62वें सूक्त में मौजूद 10 वां श्लोक है। वेदों में इस ऋचा को जिस छंद में लिखा गया उसे "गायत्री छंद " कहते है इसलिए "गायत्री मंत्र " इसे कहा जाता है।

इस गायत्री मंत्र से हमारे समस्त शरीर में अपने सूक्ष्म देह के अंग-प्रत्यंगों में अनेक चक्र-उपचक्र, ग्रंथियाँ, मातृकाएँ, उपत्यकाएँ, भ्रमर मेरु आदि ऐसे गुप्त संस्थान होते हैं जिनका विकास होने से साधारण-सा मनुष्य प्राणी अनंत शक्तियों का स्वामी बन सकता है ।

गायत्री मंत्र वह तेज और शक्ति हमें प्रदान करते है जिससे हम सभी सुखों को प्राप्त कर सकता है। गायत्री मंत्र उच्चारण जिस क्रम से होता है, उससे जिह्वा, दाँत, कंठ, तालू, ओठ, मूर्धा आदि से एक विशेष प्रकार के ऐसे गुप्त स्पंदन होते हैं जो विभिन्न शक्ति केन्द्रों तक पहुँचकर उनकी सुषुप्ति हटाते हुए चेतना उत्पन्न कर देते हैं। गायत्री मंत्र से हमारे अंदर का अंधकार मिट जाता है। कहने का तात्पर्य है कि आप बिना किसी कठिन तप साधना और वैराग्य के सुखों की प्राप्ति कर सकते है।  

यानी जो कार्य व्यक्ति योगों व्यायामों के द्वारा बड़ी कष्टदायक साधनाओं और तपस्याओं से बहुत लम्बे काल में पूरा करते हैं, वह महान कार्य बड़ी सरल रीति से गायत्री के जप मात्र से कम समय में ही पूरा हो जाता है । कहने का तात्पर्य हैं कि आप गृहस्थ जीवन में और परिवार के बीच रहकर भी रोजाना गायत्री मंत्र का जाप तथा उच्चारण करके  तप प्राप्त कर सकते है।

गायत्री मंत्र भ्रम को दूर करता है? अज्ञान को मिटाता है? आलस्य दूर करता है? भय को समाप्त करता है? मोह का त्याग करता है? सफलता दिलाता है? रोग व्याधियों से दूर करता है? इन 1४ अक्षरों के मंत्र से ही सम्भव होता है। जैसे जमीन पर खड़ा हुआ मनुष्य सीढ़ी की सहायता से ऊँची छत पर पहुँच जाता है वैसे ही गायत्री का जप व उच्चारण करने वाला इन 1४ अक्षरों की सहायता से क्रमशः एक-एक भूमिका पार करता हुआ, ऊपर चढ़ता है और माता के निकट पहुँच जाता है,success हासिल करता है।

Meaning of Gayatri mantra गायत्री मंत्र का अर्थ - 

दोस्तों इस गायत्री मंत्र के 14 अक्षरों में समस्त पृथ्वी, जल व आकाश का रहस्य छिपा हुआ है यह मंत्र साधारण नही है... यह इसका अर्थ हमें बताता है......

1-ॐ: = सर्वरक्षक परमात्मा, 
2- भू: = प्राणों से प्यारा,
3- भुव: = दुख विनाशक,
4- स्व: = सुखस्वरूप है,
5- तत्: = उस,
6- सवितु: = उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक,
7- वरेण्य: = वरने योग्य,
8- भर्गो: = शुद्ध विज्ञान स्वरूप का, 
9- देवस्य: = देव के, 
10- धीमहि: = हम ध्यान करें, 
11- धियो: = बुद्धि को,
12- यो: = जो, 
13- न: = हमारी,
14-  प्रचोदयात्: = शुभ कार्यों में प्रेरित करें।

दोस्तों यह गायत्री मंत्र का एक-एक अक्षर एक-एक धर्म शास्त्र है। हमारी पहचान सभ्यता और संस्कृति है, इन अक्षरों की व्याख्या स्वरूप ब्रह्माजी ने चारों वेदों की रचना की और उनका अर्थ बताने के लिए ऋषियों ने अन्य धर्म-ग्रंथ बनाए। इसीलिए समस्त शक्तियाँ इसमें विद्यमान है संसार में जितना भी ज्ञान-विज्ञान है वह बीज रूप से इन 1४ अक्षरों में भरा हुआ है। 

हर एक-एक अक्षर का अर्थ एवं रहस्य इतना व्यापक है कि उसे जानने में एक-एक जीवन लगाया जाना भी कम है। 

गायत्री मंत्र सभी मंत्रों का राजा, दुखों का संताप और सद्कर्मों का सार है, इसीलिए तो गायत्री सबसे बड़ा मंत्र है। उससे बड़ा और मंत्र नहीं । 

Secret of Gayatri mantra गायत्री मंत्र के चमत्कारी रहस्य...

गायत्री मंत्र में ईश्वरीय दिव्य गुणों समावेश है जो सामान्य व्यक्ति को भी पारलौकिक तथा दिव्य ज्ञान पारंगत बना देता है...

और गायत्री मंत्र हमें हमेंशा यही सिखाता है------

- अपनी बुद्धि को सात्त्विक बनाओ, 

- आदर्शों को ऊंचा रखो,सत्कर्मों को अपनाओ।

- उच्च दार्शनिक विचारधाराओं में रमण करो और तुच्छ तृष्णाओं एवं वासनाओं के लिए हमें नचाने वाली दुर्बुद्धि को मानस लोक में से परित्याग कर दो। जैसे-जैसे दुर्बुद्धि का आपके शरीर आत्मा से दूर होगी वैसे ही वैसे दिव्य गुण आपके अंदर अपने में वृद्धि होती जाएगी और उसी अनुपात से लौकिक और पारलौकिक आनंद की अभिवृद्धि होती जायेगी।

नित्य प्रतिदिन गायत्री मंत्र का उच्चारण तथा जप करते समय बैठकर नित्य अर्थ-चिंतन करना चाहिए। यह ध्यान-साधना मनन के लिए अतीव उपयोगी है।

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