जयश्री कृष्ण दोस्तों आज हम भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन आपको कराएंगे तथा इन 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे संक्षिप्त परिचय भी आपको कराएंगे। वैसे तो भारत में कई शिव मंदिर और शिव धाम हैं लेकिन 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व सबसे अधिक है। जो हमारे अन्दर अलौकिक शक्तियों का विकास कराता है जिनके स्मरण मात्र से सभी कष्ट व पाप दूर हो जाते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इन 12 ज्योतिर्लिंगों में ज्योति रूप में भगवान शिव स्वयं विराजमान हैं। शिव में ही सृष्टि समायी हुयी है शिव को ही महाकाल भी कहा गया है।हमारे देश के अलग- अलग भागों में शिव के ये पावन ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। ऐसा माना जाता है, 12 ज्योतिर्लिंगों में अद्भुत शक्तियाँ विराजमान है। आइए, आज जानते हैं देश में कहां-कहां पर स्थित हैं भगवान शिव के ये 12 ज्योतिर्लिंग और क्या क्या मान्यताएँ जुडी हुई इनसे...
द्वादश ज्योतिर्लिंगों का संक्षिप्त परिचय एवं स्तोत्र जाने क्या मान्यताएँ है,Dwadash Jyotirlinga Darshan
दोस्तों इन 12 ज्योतिर्लिंग यानी 'व्यापक ब्रह्मात्मलिंग' जिसका अर्थ है 'व्यापक प्रकाश'। जो शिवलिंग के बारह खंड माने जाते हैं। शिवपुराण के अनुसार - ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग कहा गया है।और यही ज्योतिर्लिंग मान का निर्माण करते है।
इन 12 ज्योतिर्लिंगों के न सिर्फ दर्शन करने पर शिव भक्त को विशेष फल की प्राप्ति होती है। बल्कि इनका श्रद्धा भाव से प्रतिदिन नाम लेने मात्र से जीवन के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं। इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की पूजा सभी तरह के लौकिक तथा परलौकिक सुख देने वाली है।
द्वादश ज्योतिर्लिंग श्लोक ---
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम् ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
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